EE Reflections

1st Reflection:

मैंने हिंदी में अपना विस्तृत निबंध करने का फ़ैसला इसलिए लिया क्योंकि हिंदी मेरी मात्रा भाषा है और मैं बचपन से इसे सीखती आयी हूँ।हिंदी में विस्तृत निबंध लिखना का दूसरा कारण यह था की , हिंदी में विषय की कमी नहीं होती। मेरा अनुसंधान किन्नरों पे था।शोध परियोजना ढूंढने के दौरान,एक बार मैंने यातायात संकेत पे किन्नर के साथ दुर्व्याहर होते हुए देखा था , उसे देख मुझे बहुत दुःख हुआ और तभी मेरे मन में किन्नरों के साथ दुर्व्याहर होने पर शोध करने का निर्णय लिया। शोध शुरू करने से पहले मैंने अपने आप से कारणों को ३ खंड में वितरित कर दिया था जो की हमारा समाज,धर्म और संविधान थे। खंडो में वितरित करने से मुझे शोध करने में आसानी हुई।कई बार ऐसा भी हुआ की २ साइट्स एकदम ही उलटी जानकारी दे रही थी और उसमें सही चुन ना बहुत ही मुश्किल था ।

2nd reflection:

शुरुआत में मैंने सोचा था की मैं सिर्फ़ इंटरनेट, लेख, शोध पत्र और सरकारी साइटों से मदद लेकर अपनी शोध करूँगी।जैसे-जैसे मैं शोध करती गयी तो मुझे पता चला की किन्नरों के बारे में बहुत ज़्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है और कई जगह ग़लत जानकारी भी दी गयी है ।ग़लत और कम जानकारी होने के कारण मैं एक किन्नर का साक्षात्कार लेने का सोचा। किन्नर के साक्षात्कार के दौरान मेरे मन में समाज को लेकर कच्छ और सवाल उठे जिसके बाद मैंने एक स्कूल की प्रधान अध्यापक का साक्षात्कार भी लिया ।साक्षात्कार के कारण मैं गहराई से शोध करने में सक्षम रही और तो और मुझे यह भी पता चला की असलियत में लोगों का क्या मानना है।साक्षात्कार लेने से यह भी साबित हो गया कि जो जानकारी मुझे इंटरनेट से मिली है वह सही है।यह शोध करने से मेरी शोध करने की सक्षमता बहुत बढ़ गई क्योंकि इसमें तो मैंने कई अलग अलग सूत्रों की मदद ली और मुझे इस बात का भी एहसास हुआ कि इंटरनेट पे दी गई हर चीज़ सही हो ऐसा ज़रूरी नहीं है।

3rd reflection:

अगर मुझे अपनी शोध करने का वापस से मौक़ा मिलता तो भी मैं अपने शोध करने के तरीक़े को नहीं बदलती क्योंकि अभी भी मैंने सारे विश्वसनीय स्रोतों का उपियोग करके ही शोध करी है।मैंने जिन भी सूत्रों का इस्तेमाल किया है सभी ने मुझे बहूत ही वास्तविक जानकारी दी है और मुझे वैसी ही जानकारी चाहिए थी जिसके कारण मैं अगर वापस शोध करूँगी तो वो भी इन्हीं सूत्रों को इस्तेमाल करूँगी।किंतु एक छोटा बदलाव जो मैं करती वह ये होता की मैं ज़्यादा लोगों के साक्षात्कार लेती जैसे १ किन्नर की जगह २-३ के साक्षात्कार लेती और तो और जैसे मैंने प्रधान अध्यापक का साक्षात्कार लिया वैसे ही मैं किसी दुकान वाले का भी लेती और यह जानती की वे किसी किन्नर को नौकरी पर रखते या नहीं और उनके कारण।ऐसा करने से मुझे ज़्यादा तरह के लोगों की राय मिलती।अगर ऐसा कोई भी प्रश्न उठता जिसकी उम्मेद मैंने नहीं करी थी तो मैं और तरह तरह की लोगों का साक्षात्कार लेती जिससे मुझे सही परिणाम मिल पाता।

 

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